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करण (कर्ण) जाति का इतिहास
इस जाति की उत्पत्ति का सम्बन्ध ऋषि कण्व से है | महर्षि कण्व के पुत्र सत्य श्रवा, सत्य श्रवा से ऊरुश्रवा , ऊरुश्रवा से देवदत्त की उत्पत्ति है | जिसका उल्लेख ऋग्वेद के मंडल प्रथम सूत्र 9,3654 और 108 में है | देवदत्त की पत्नी कान्ति थी | देवदत्त ने चंद्रग्रहण के समय प्रयाग संगम में स्नान किया और पुत्र की लालसा से भगवान श्री हरी की आराधना की एवं कौशाम्बी में सौ वर्ष तक तपस्या की | जिसके प्रभाव से कांती के गर्भ से कण्व का जन्म हुआ, जी भविष्य में महर्षि करण्य के नाम से प्रसिद्ध हुए | बालक कर्ण का जन्म अहमदाबाद में राजगृह नगर के समीप कारुष्य नमक ग्राम में हुआ था, जिसे कैंडल भी कहते हैं | इनका गोत्र शैनक था | इस जाती की उत्पत्ति का सम्बन्ध ऋषि कर्ण से है | महर्षि कर्ण के पुत्र सत्य श्रवा, सत्य श्रवा से ऊरुश्रवा , ऊरुश्रवा से देवदत्त की उत्पत्ति है | जिसका उल्लेख ऋग्वेद के मंडल प्रथम सूत्र 9,3654 और 108 में है | देवदत्त की पत्नी कान्ति थी | देवदत्त ने चंद्रग्रहण के समय प्रयाग संगम में स्नान किया और पुत्र की लालसा से भगवान श्री हरी की आराधना की एवं कौशाम्बी में सौ वर्ष तक तपस्या की | जिसके प्रभाव से कांती के गर्भ से कण्व का जन्म हुआ, जी भविष्य में महर्षि कर्ण के नाम से प्रसिद्ध हुए | बालक कण्व का जन्म अहमदाबाद में राजगृह नगर के समीप कारुष्य नामक ग्राम में हुआ था, जिसे कैंडल भी कहते हैं | इनका गोत्र शैनक था |
महाराजा कर्ण ने चक्रवर्ती राज्य स्थापित किया इनकी राजधानी उज्जैन थी | एक बार महाराजा करण्य अग्ङिरा ऋषि के पास गए और जमीन पर बैठ कर उनकी भक्ति करने लगे | ऋषि अग्ङिरा ने चिंता समझकर प्रश्न पूछने पर महाराज करण्यने संतान प्राप्ति की अभिलाषा की | तब अग्ङिरा ऋषि ने चंद्रगुडा को यज्ञ प्रसाद देकर आशीर्वाद दिया | कि राजन तुम्ह्जारी पत्नी चंद्रगुडा के गर्भ से एक ऐसा पुत्र होगा | जिसके नाम से राजवंश चलेगा | समयानुसार चन्द्रगुणा के गर्भ से जो बालक उत्पन्न हुआ | (देखे गीता परेश गोरखपुर के भागवत पुराण विशेषांक पृष्ठ 600 पर) उसका नाम कर्ण के नाम से कर्ण जाति (वंश) चल रहा है | जो समयानुसार अपभ्रंश होकर कर्णरे, कडेरे, करण, कर्णावत, कर्णराजपूत, आदि कहलाने लगे | "अखिल भारतीय स्तर पर एकीकृत करने हेतु एक नाम से संगठन बनाया गया | जिसका नाम अखिल भारतीय करण समाज महासभा रजि. नं. एस./ 718" है |जो सभी जाति बंधुओ के लिए विशेष हितकारी है |
महर्षि कणर्व का आश्रम वर्तमान में पता चला कि
पता:- चंद्रकिरण पीठ महर्षि कण्व आश्रम, कनाडा, जलगांव महाराष्ट्र (भारत)
पिन कोड:- 425120
फोन नं. 0297-2467230, 0297-2467253
महंत पु.श्री अवधेशानंद जी महाराज
मो. नं. 07507567296
Last updated on 2018年12月13日
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Karan Samaj Maha Sabha
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2018年12月13日