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पढ़िए हिंदी और मराठी कविताएं हर रोजRead hindi and marathi poems daily
पढ़िए हिंदी और मराठी कविताएं हर रोज
Read Hindi and Marathi poems daily.
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परिचय
स्वयं के विषय मे अनमोल शब्दो का व्यय होना, मै उचित नही समझता। मगर इस निरर्थकता को नजर अंदाज करता हूं, क्योंकी मुझे जानोगे, तभी मेरी सोच गहराई से उजागर हो सकती है। बचपन से मेरी अंतरात्मा अल्हड़ दिवानगी को पार करते हुये, अंतिम सत्य की खोज मे समाहीत हुयी। निस्सीम, निर्मल प्रेम मेरी पूजा है, विष्व मे अमन के फुल खिले, और संपूर्ण सृष्टी पर मुहब्बती खुशबू की बरसात होती रहे। सिर्फ यही मेरी एक मात्र चाहत है।
मजहब के नाम पर हिंसाचार, इन्सान की इन्सान से दूरी, मानवता का यह कलंकित इतिहास
विष्व के सुखमय भविष्य को निगल रहा है। कुप्रथाओं को जलाकर हर धर्म की अच्छाईयो को स्वीकार करना, और सर्व-धर्म समभाव का उद्घोष, यही एक परिवर्तन की राह है। इसी विषय को उजागर करने के लिये, और निर्भयता प्राप्ति, सपनो को हासिल करने के बेहतरीन तरीके, उत्साहवर्धक अल्फाजो मे रचनाओं मे उजागर किये है। युवा दिलो की उमंग से लेकर सृष्टि के अंगप्रत्यंगी सौंदर्य को प्रदर्शित करते हुये, सिर्फ सुखो की बौछार कियी है। सभी धर्मग्रंथों को पढकर सरल शब्दो मे अखंड काव्य से सर्वधर्म आस्था का परिचय दिया है।
राज्यसत्ता पर मतदाताओं का अंकूष होना अनिवार्य है। तभी सुचिर्भूत और भ्रष्टाचार मुक्त राजनीति की निव मजबूत हो सकती है। इस विषय को मैने किताबों मे पाठको के सम्मुख रखा है। तब १९८० मे हजारो प्रतिक्रिया समर्थन मे प्राप्त हुयी। मै राष्ट्रभाषा हिंदी और मातृभाषा मराठी मे, कवि और लेखक रूप मे परिचित हूं।
कलम के इस दिवानगी और जुणून से मेरा एक ग्रन्थ और १७ किताबे प्रकाशित हुयी है। इन किताबों मे डेलीहंट पर दस किताबे प्रकाशित हुयी। और पांच ग्रंथ और करिबन पचास किताबे प्रकाशन प्रक्रिया मे है। अनगिनत पाठको के सराहनिय प्रतीक्रीयाओं से मै सभी का सविनय हृदय तल से ऋणीत हूं। कवि - अशोक मारावार यह मेरा अॅप सच्चे हृदय के सोच का आदान-प्रदान है। असीम प्रीति से विष्व चेतनाओं के लहरो से छलकनेवाला सुखसागर है। आप सभी की तहेदिल से चाहत मिलेगी, यही उम्मीद और सविनय अपेक्षा करता
हूं। धन्यवाद
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मै तो इक नाचीज हूं दीवाना मतवाला,
शब्दों के फुलो से बनाऊ गितो की माला।
यही माला आप सभी को समर्पित है,
विष्वशांती के प्रयास मे, मै और मेरे गीत है
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दिलो पर शब्दो के फुल बरसाऊ,
बस यही इक ख्वाईश है मेरी।
कलम चले आखरी सांस तक,
दुवा करो, यही गुजारिश है मेरी॥
कवि - अशोक मारावार
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Last updated on Apr 17, 2017
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Kavi Ashok Marawar
1.3 by Protech labz
Apr 17, 2017